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Rafale M: भारतीय वायु सेना के बाद अब नौसेना की ताकत बढ़ाएंगे 26 राफेल विमान

भारत-फ्रांस रक्षा साझेदारी की नई ऊंचाई, दोनों देशों के बीच राफेल मरीन डील, डिलीवरी वर्ष 2030 तक पूरी होगी

भारत और फ्रांस ने भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन (Rafale M) विमानों की खरीद के लिए एक महत्वपूर्ण अंतर-सरकारी समझौते (IGA) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सौदे के तहत भारत 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर राफेल विमान खरीदेगा। इस समझौते ने भारत-फ्रांस रक्षा साझेदारी को एक नई मजबूती दी है और भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने में एक बड़ा कदम साबित होगा।

भारत के पास पहले से ही वायुसेना के लिए 36 राफेल लड़ाकू विमान (Rafale C/B संस्करण) उपलब्ध हैं, जो अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर स्क्वाड्रन के रूप में तैनात हैं। अब, नौसेना के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए Rafale M विमानों की खरीद भारतीय समुद्री सुरक्षा को नई धार देगी।

Rafale M सौदे की मुख्य विशेषताएं

28 अप्रैल 2025 को नई दिल्ली के नौसेना भवन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू ने इस महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने विमान पैकेज आपूर्ति प्रोटोकॉल और हथियार पैकेज आपूर्ति प्रोटोकॉल की प्रतियों का आदान-प्रदान भी किया।

इस समझौते में न केवल विमान, बल्कि प्रशिक्षण, सिम्युलेटर, संबंधित उपकरण, हथियार, और प्रदर्शन-आधारित लॉजिस्टिक्स सपोर्ट भी शामिल है। इसके अतिरिक्त, भारतीय वायुसेना के मौजूदा राफेल बेड़े के लिए भी अतिरिक्त उपकरणों की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।

भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत इस समझौते में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी शामिल है। इसमें राफेल विमान के मुख्य-भाग (फ्यूज़लेज) के उत्पादन के साथ-साथ भारत में विमान इंजन, सेंसर और हथियार प्रणालियों के लिए मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल (MRO) सुविधाएं स्थापित करना प्रस्तावित है। इससे हजारों नई नौकरियों का सृजन होगा और भारतीय रक्षा उत्पादन क्षेत्र में एमएसएमई (MSME) सेक्टर को भी मजबूती मिलेगी।

Rafale M: भारतीय नौसेना के लिए एक गेमचेंजर

राफेल मरीन को विशेष रूप से नौसेना की जरूरतों के अनुसार डिजाइन किया गया है। इसे विमानवाहक पोत (Aircraft Carrier) से टेकऑफ और लैंडिंग करने की क्षमता के साथ विकसित किया गया है। राफेल मरीन की डिलीवरी वर्ष 2030 तक पूरी हो जाएगी और इसका संचालन करने वाले पायलटों को भारत और फ्रांस दोनों जगहों पर उन्नत प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

राफेल मरीन के शामिल होने से भारतीय नौसेना को संयुक्त परिचालन क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी मिलेगी। यह विमान भारतीय विमानवाहक पोतों INS Vikrant और INS Vikramaditya की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ाएगा, जिससे भारत समुद्री शक्ति के क्षेत्र में और अधिक सशक्त बनकर उभरेगा।

Rafale C/B और Rafale M में क्या है अंतर?

राफेल लड़ाकू विमान (Dassault Rafale) का वायुसेना संस्करण (Rafale C/B) और नौसेना संस्करण (Rafale M) दोनों दिखने में मिलते-जुलते हैं, लेकिन उनके डिज़ाइन और क्षमताओं में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं:

  1. उपयोग का क्षेत्र

  • Rafale C/B: यह वर्जन वायुसेना के लिए जमीन से उड़ान भरने हेतु बनाया गया है।
  • Rafale M: इसे समुद्री अभियानों के लिए विकसित किया गया है और यह विमानवाहक पोत से टेकऑफ और लैंडिंग कर सकता है।
  1. संरचनात्मक मजबूती

  • राफेल मरीन में अधिक जंगरोधी सामग्री का उपयोग किया गया है ताकि यह समुद्री वातावरण में टिकाऊ रहे।
  • इसका लैंडिंग गियर सामान्य राफेल के मुकाबले कहीं अधिक मजबूत होता है, ताकि छोटे डेक पर भारी झटकों को सह सके।
  1. टेकऑफ और लैंडिंग सिस्टम

  • राफेल मरीन में टेल हुक (Tail Hook) लगाया गया है, जो विमानवाहक पोत के अरेस्टर वायर को पकड़कर विमान को रोकने में मदद करता है।
  • Rafale C/B में इसकी आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि वह रनवे से टेकऑफ और लैंडिंग करता है।
  1. वजन और साइज

  • राफेल मरीन थोड़ा भारी होता है क्योंकि इसमें समुद्री अभियानों के अनुसार अतिरिक्त मजबूती दी गई है।
  • इसकी इंजन थ्रस्ट क्षमता भी थोड़ी अधिक रखी गई है ताकि “स्की-जंप” टेकऑफ कर सके।
  1. ऑपरेशनल परिस्थितियाँ

  • राफेल मरीन समुद्र के ऊपर, सीमित टेकऑफ दूरी और बदलते मौसम की चुनौतियों के अनुरूप अनुकूलित है।
  • Rafale C/B मुख्यतः एयरस्ट्राइक, एयर डिफेंस और लम्बी दूरी के मिशन के लिए प्रयुक्त होता है।
  1. कीमत

  • मजबूत बनावट और समुद्री अनुकूलन के कारण राफेल मरीन की कीमत सामान्य राफेल के मुकाबले कुछ अधिक होती है।

Rafale M की तकनीकी खूबियाँ

  • अत्यधिक मजबूती वाला लैंडिंग गियर: छोटे विमानवाहक पोत डेक पर भी सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करता है।
  • जंगरोधी संरचना: समुद्री वातावरण में दीर्घकालिक टिकाऊपन।
  • स्की-जंप टेकऑफ समर्थन: भारतीय विमानवाहक पोत INS Vikrant पर यह अत्यंत उपयोगी साबित होगा।
  • उन्नत रडार और हथियार प्रणाली: वायुसेना वाले राफेल की ही तरह उच्च गुणवत्ता की मारक क्षमता।
  • संयुक्त परिचालन: भारतीय वायुसेना और नौसेना दोनों एक ही प्रकार के विमानों का प्रशिक्षण और संचालन कर सकेंगे, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा।
विशेषता Rafale C/B (वायुसेना) Rafale M (नौसेना)
टेकऑफ/लैंडिंग रनवे से विमानवाहक पोत से
लैंडिंग गियर सामान्य विशेष मजबूत
टेल हुक नहीं है
जंगरोधी बनावट सामान्य अधिक जंगरोधी
वजन हल्का भारी
कीमत कम ज्यादा
उपयोग ज़मीनी अभियानों के लिए समुद्री अभियानों के लिए
अतिरिक्त उपकरण नहीं टेल हुक और मजबूत गियर

Rafale M का भारतीय नौसेना में शामिल होना भारत की समुद्री शक्ति में एक ऐतिहासिक विस्तार है। इससे न केवल भारत की एयरक्राफ्ट कैरियर आधारित क्षमताओं में वृद्धि होगी, बल्कि भविष्य में मल्टी-डोमेन ऑपरेशनों (Multi-Domain Operations) में भी भारतीय सेनाओं की समन्वित शक्ति में उल्लेखनीय इजाफा होगा।

Rafale M भारतीय नौसेना को एक आधुनिक, बहुआयामी और शक्तिशाली प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा, जो आने वाले वर्षों में भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक अग्रणी समुद्री शक्ति बनने में मदद करेगा।

यह भी पढ़ें: 

https://www.thedailynewspost.com/pahalgam-terror-attack/

https://youtu.be/MDukCEtYEQ8?si=wKBTi8LaOG75RsAu

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